निखिल वखारिया
350 करोड़ के भुगतान और 43.19 करोड़ के अतिरिक्त मुआवजे पर उठे सवाल
रायपुर, 13 मार्च 2025 |
छत्तीसगढ़ में भारत माला परियोजना के तहत हुए निर्माण कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इस घोटाले का मामला विधानसभा में उठा, जिसके बाद विपक्ष और सरकार के बीच तीखी बहस हुई। शाम को हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने निर्णय लिया कि इस घोटाले की जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) करेगी।
विपक्ष ने इस मामले की CBI जांच की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इसे खारिज कर दिया। अब यह जांच राज्य की अपनी एजेंसी EOW द्वारा की जाएगी, जो इस पूरे घोटाले की परतें खोलेगी।
कैसे सामने आया भारत माला परियोजना का घोटाला?
विधानसभा में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेताओं ने आरोप लगाया कि भारत माला परियोजना के तहत
- 350 करोड़ रुपये का संदिग्ध भुगतान बिना उचित काम हुए किया गया।
- 6 गांवों में 43.19 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिया गया, जबकि इसके लिए कोई ठोस आधार नहीं था।
- सड़क निर्माण और पुलों के निर्माण में अनियमितताएं, जिसमें गलत तरीके से टेंडर दिए जाने और इंजीनियरिंग में गड़बड़ी के आरोप शामिल हैं।
इस मुद्दे को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कहा कि इस मामले में बड़े अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से घोटाला किया गया है।
विपक्ष और सरकार के दावे – कौन सही, कौन गलत?
विपक्ष के आरोप:
✅ भारी भ्रष्टाचार हुआ है: विपक्ष ने कहा कि सड़क निर्माण और भूमि अधिग्रहण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ।
✅ CBI जांच की जरूरत: विपक्ष ने कहा कि EOW सरकार के नियंत्रण में है, इसलिए निष्पक्ष जांच के लिए CBI को इसकी जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
✅ कांग्रेस सरकार ने CBI को बैन किया: पूर्व मंत्री ने कहा कि अगर CBI को राज्य में निष्पक्ष जांच से नहीं रोका जाता, तो घोटाला पहले ही सामने आ जाता।
सरकार की सफाई:
✅ CBI नहीं, बल्कि EOW करेगी जांच: राज्य सरकार ने कहा कि CBI को कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल में बैन कर दिया था, इसलिए अब EOW जांच करेगी।
✅ उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई: सरकार ने कहा कि विशेष समिति का गठन किया गया है, जो पूरी रिपोर्ट तैयार करेगी।
✅ भ्रष्टाचार साबित होने पर सख्त कार्रवाई होगी: सरकार ने भरोसा दिलाया कि अगर कोई दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
क्या हैं प्रमुख घोटाले के बिंदु?
☑️ 350 करोड़ रुपये का संदिग्ध भुगतान – बिना काम पूरा किए हुए ठेकेदारों को राशि दी गई।
☑️ 43.19 करोड़ रुपये का अवैध मुआवजा – 6 गांवों के निवासियों को नियमों के खिलाफ भुगतान किया गया।
☑️ सड़क निर्माण और पुलों में अनियमितता – गुणवत्ता की अनदेखी, गलत टेंडरिंग और आधे-अधूरे प्रोजेक्ट।
☑️ CBI की बजाय EOW को जांच सौंपी गई – सरकार का दावा कि इससे जल्दी और निष्पक्ष जांच होगी।
अब आगे क्या होगा?
सरकार ने जांच एजेंसी को समयबद्ध रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। यदि जांच में भ्रष्टाचार के प्रमाण मिलते हैं, तो अधिकारियों, ठेकेदारों और अन्य दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक गलियारों में यह मुद्दा गर्माया हुआ है। विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बना सकता है, वहीं सरकार इसे भ्रष्टाचार मुक्त शासन का उदाहरण बनाने की कोशिश कर रही है।
निष्कर्ष – घोटाले की गूंज, सरकार की सख्ती और विपक्ष की मांग
भारत माला परियोजना को लेकर छत्तीसगढ़ में बड़ा घोटाला सामने आया है। सरकार ने जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन विपक्ष CBI जांच की मांग पर अड़ा हुआ है।
अब यह देखना होगा कि EOW इस घोटाले के दोषियों तक पहुंचती है या नहीं। क्या यह जांच निष्पक्ष होगी, या विपक्ष की आशंका सही साबित होगी? इसका जवाब आने वाले कुछ महीनों में इस रिपोर्ट के आधार पर मिलेगा।
बिहान न्यूज़ 24×7