निखिल वखारिया ।
बिना लाइसेंस आयात, अतिरिक्त खपत का खुलासा, जांच की मांग तेज
रायपुर, 19 मार्च 2025 – छत्तीसगढ़ वन विभाग में Etorphine (इथोर्फिन) जैसी अत्यंत शक्तिशाली और घातक नारकोटिक ड्रग की हेराफेरी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यह ड्रग मार्फीन से 3000 गुना अधिक शक्तिशाली होती है और इसकी थोड़ी मात्रा भी इंसान के लिए जानलेवा हो सकती है।

कैसे हुआ ड्रग का ग़ायब होना उजागर?
- वर्ष 2020 में 10 एमएल Etorphine बिना आवश्यक लाइसेंस के मंगवाई गई।
- 2021 में सिर्फ जंगल सफारी परिसर में उपयोग की अनुमति मिली, फिर भी 2023 में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के आदेश पर इसे असम भेजा गया।
- असम में सिर्फ 1.6 एमएल की आवश्यकता थी, लेकिन 7.8 एमएल खपत दिखाकर मामले को दबाने की कोशिश की गई।
- बड़ा सवाल यह है कि अतिरिक्त बताई गई खपत की ड्रग आखिर गई कहां
कानूनी कार्रवाई की उठी मांग
वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) को सौंपने की मांग की है।
अब वन विभाग और सरकार के लिए जरूरी सवाल:
✔ बिना लाइसेंस ड्रग मंगाने की अनुमति किसने दी?
✔ 7.8 एमएल की अतिरिक्त खपत का हिसाब कौन देगा?
✔ Etorphine का गैरकानूनी उपयोग हुआ या इसकी कालाबाजारी की गई?
यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच होती है, तो वन विभाग में बड़े अधिकारियों की संलिप्तता सामने आ सकती है। क्या सरकार इस घोटाले की सच्चाई उजागर करेगी?