मोना सेन की संगीतमय प्रस्तुति पर झूम उठा राजिम कुंभ, छत्तीसगढ़ी लोकसंस्कृति का अनूठा संगम

निखिल वखारिया

राजिम। राजिम कुंभ कल्प के सांस्कृतिक मंच पर 11वें दिन छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोकगायिका मोना सेन ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने अपने सुपरहिट छत्तीसगढ़ी गीतों से मंच पर समां बांध दिया। कार्यक्रम की शुरुआत ‘हर-हर हर भोला’ से हुई, जिसके बाद ‘मया होगे न तोर संग मया होगे न…’, ‘काली काली महाकाली…’, ‘हमर पारा तुम्हर पारा…’ और ‘मैं देखेव तोला तै देखे मोला…’ जैसे लोकप्रिय गीतों की प्रस्तुति ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

इस मंच पर अन्य लोक कलाकारों ने भी छत्तीसगढ़ी लोककला और संगीत का बेहतरीन प्रदर्शन किया। छोटे लाल साहू, पद्मा पटेल, सावित्री कहार और राजा साहू की टीम ने लोककला मंच के माध्यम से पारंपरिक छत्तीसगढ़ी संस्कृति को जीवंत किया। उनके द्वारा प्रस्तुत लोकगीतों ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।

बेटियों के अधिकारों के लिए मोना सेन का अभियान

मोना सेन केवल संगीत की दुनिया में ही नहीं, बल्कि सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। उन्होंने बेटियों की कम उम्र में शादी रोकने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया, जिसे छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों तक पहुंचाया गया। इस अभियान से कुछ ही दिनों में 60,000 लोग जुड़ गए। लोगों ने संकल्प पत्र भरते हुए यह कसम ली कि वे अपनी बेटियों को शिक्षा देंगे और उनके कौशल विकास पर ध्यान देंगे। इस सराहनीय पहल को ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में शामिल किया गया, और मोना सेन को सम्मानित भी किया गया।

लोकसंस्कृति के रंग में रंगा राजिम कुंभ

राजिम कुंभ कल्प का सांस्कृतिक मंच लोकसंस्कृति से सराबोर रहा। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। रुक्मिणी दिवान की टीम ने जसगीत के माध्यम से माता के सेवा गीतों की सुंदर प्रस्तुति दी। ‘माता रानी के भुवन मा…’, ‘तोला दुर्गा कहव की मां काली…’ जैसे भक्ति गीतों ने भक्तिमय माहौल बना दिया।

पंडवानी विधा में बिसोनी बाई साहू और पूर्णिमा सिंह ने महाभारत के विभिन्न प्रसंगों को गाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं, वेद प्रकाश माहेश्वरी की टीम ने सफेद धोती और कुर्ते में तालबद्ध नृत्य प्रस्तुत किया, जिसे देखकर दर्शकों ने दांतों तले उंगली दबा ली। युगल किशोर तिवारी के भजनों ने सभी को भक्ति रस में सराबोर कर दिया।

कला और नृत्य का भव्य प्रदर्शन

संगीता कापसे ने कत्थक नृत्य (मलेशिया रिटर्न) के माध्यम से श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का अद्भुत चित्रण किया। उन्होंने अपने बाल मित्रों के साथ दही लूटने का सुंदर अभिनय प्रस्तुत किया, जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं, रूप दास मानिकपुरी की टीम ने छत्तीसगढ़ की पारंपरिक नाचा विधा की शानदार प्रस्तुति दी।

राजिम कुंभ कल्प के इस आयोजन ने छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को और मजबूत किया, जिससे दर्शकों को एक अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त हुआ।

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