निखिल वखारिया
रायपुर। छत्तीसगढ़ के जिन इलाकों में हाथियों का रहवास और आवाजाही ज्यादा है, वहां नया ट्रेंड देखने मिल रहा है। हाथियों के रहवास वाले इलाकों में शिकारियों की सक्रियता बढ़ गई है। इसके पीछे हाथी के अंगों की तस्करी को बड़ी वजह माना जा रहा है। बताते हैं कि इंटरनेशनल मार्केट में हाथी दांत की कीमत एक करोड़ रुपये से ज्यादा है।
शिकारी की नजर हाथियों पर होने के पीछे इसे ही बड़ा कारण माना जा रहा है। हाथी-मानव द्वंद के बहाने इस अंदाज में हाथियों के शिकार का खेल खेला जा रहा है। इधर, रायगढ़ जिले के घरघोड़ा फॉरेस्ट रेंज में बिजली करंट से तीन हाथियों की मौत को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से कर्नाटक हाथी टास्क फोर्स की गाइडलाइन के परिपालन को लेकर जानकारी मांगी। प्रोग्रेस रिपोर्ट के बारे में भी पूछा है। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने कहा कि शपथ पत्र में जरूरी जानकारी शामिल करनी है। इसमें समय लगेगा। महाधिवक्ता के निवेदन पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र पेश करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है।
पूरे मामले में कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया
बता दें कि रायगढ़ के घरघोड़ा फॉरेस्ट रेंज में बिजली करंट से हाथियों की मौत पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए पीआईएल के रूप में सुनवाई शुरू की है। पीआईएल में ऊर्जा सचिव, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत पारेषण कंपनी के प्रबंध निदेशक और प्रधान मुख्य वन संरक्षक को प्रमुख पक्षकार बनाया गया है। रायगढ़ के अलावा मुंगेली जिले के अचानकमार फॉरेस्ट रेंज में भी करंट बिछाकर एक और हाथी की हत्या कर दी गई। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि इस घटना को शिकारियों ने अंजाम दिया था।
संदेह इसलिए… 10 साल में 62 हाथी करंट से मर गए
करंट से हाथियों की मौत के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले 10 साल में 62 हाथी सिर्फ इसी वजह से मारे गए। वहीं ओवरऑल मौतों की बात करें तो 2014 से अब तक सरकार हाथियों के संरक्षण पर डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा फूंक चुकी है, फिर भी 167 हाथी मारे गए। इनमें से 2 को जहर देकर मारा गया था।
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