राजिम कुंभ कल्प 2025: श्रद्धा, संस्कृति और सेवा का महोत्सव

Rajiv Lochan

निखिल वखारिया


मुख्य मंच पर कल हास्य-व्यंग्य कवि पद्मश्री सुरेंद्र दुबे का.होगा जलवा

गरियाबंद-राजिम कुंभ कल्प 2025 के तीसरे दिन (14 फरवरी 2025) मुख्य मंच का प्रमुख आकर्षण हास्य-व्यंग्य कवि पद्मश्री सुरेंद्र दुबे होंगे, जो अपनी अनोखी और चुटीली कविताओं से श्रोताओं को हंसी से लोटपोट करेंगे। उनके साथ-साथ, गरिमा दिवाकर और आरती बारले की टीम लोकगीत और नृत्य के माध्यम से छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक झलक पेश करेंगी।


स्थानीय मंच पर छत्तीसगढ़ी लोक कला का संगम

दोपहर 3 से 7 बजे तक स्थानीय मंच पर विभिन्न कलाकारों की रंगारंग प्रस्तुतियां होंगी—
✔️ सुकदेव बंजारे – पंथी नृत्य
✔️ कु. रितिका सिकट – छत्तीसगढ़ी रिमिक्स डांस
✔️ अजय करमोकर – संगीतमय प्रस्तुति
✔️ महेंद्र सिंह चौहान – पंडवानी गायन (महाभारत के प्रसंगों का संगीतमय वर्णन)
✔️ सुश्री भुवनेश्वरी की टीम – मानस गायन से भक्तिमय माहौल
✔️ दुर्गारानी जायसवाल, रंजमत बाई कंवर, मुकेश कुमार नेताम – मांदर नृत्य
✔️ अर्जुन चेलक – मंगल भजन
✔️ जगराता ग्रुप, नारद चक्रधारी, भगवंतीन कुर्रे – सांस्कृतिक मंच पर झमाझम प्रस्तुति


श्री कुलेश्वर महादेव मंदिर का भव्य प्रवेश द्वार बना आकर्षण का केंद्र

राजिम कुंभ मेला में श्रद्धालुओं के लिए इस वर्ष शासन-प्रशासन द्वारा विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। नदी के बीच स्थित श्री कुलेश्वर महादेव मंदिर में एक विशाल एवं भव्य प्रवेश द्वार बनाया गया है, जो मेलार्थियों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र बना हुआ है।

श्रद्धालु पहले श्री राजीव लोचन मंदिर के दर्शन कर रहे हैं, फिर त्रिवेणी संगम में स्नान करके श्री कुलेश्वर महादेव के दर्शन को जा रहे हैं। भक्तों का कहना है कि मंदिर का प्रवेश द्वार इतना भव्य और सुंदर बना है कि पहली नजर में लगता है जैसे यह किसी राजस्थानी राजमहल का प्रवेश द्वार हो। इस द्वार से मंदिर की भव्यता और भी अधिक बढ़ गई है।


भगवान श्री राजीव लोचन: एक ही पत्थर से निर्मित जीवंत विग्रह

राजिम में स्थित भगवान श्री राजीव लोचन न केवल आध्यात्मिक रूप से, बल्कि ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उनके बारे में कई अद्भुत मान्यताएं प्रसिद्ध हैं—

मूर्ति एक ही पत्थर से निर्मित है और जीवंत प्रतीत होती है।
प्रति शनिवार तेल अभिषेक किया जाता है, जिसे मूर्ति अपने अंदर सोख लेती है।
दिन में तीन बार भगवान का स्वरूप बदलता है – सुबह बाल्यावस्था, दोपहर में युवावस्था और रात में वृद्धावस्था।

प्राचीन कथाओं के अनुसार, पहले रात्रि में भगवान भूख लगने पर एक बुजुर्ग के रूप में दुकान से भोजन लेने जाया करते थे। जब पुजारियों को यह ज्ञात हुआ, तब से रात्रि शयन आरती के बाद अनरसे का भोग चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।


राजिम कुंभ मेला में साहू समाज द्वारा नि:शुल्क भंडारे का आयोजन

राजिम कुंभ मेला में श्रद्धालुओं की सेवा के लिए साहू समाज द्वारा भोजन भंडारे की विशेष व्यवस्था की गई है। 12 फरवरी से प्रारंभ इस भंडारे में हजारों श्रद्धालुओं को नि:शुल्क भोजन कराया जा रहा है।

➡️ प्रदेश साहू संघ के उपाध्यक्ष भुनेश्वर साहू, संरक्षक रामकुमार साहू, अध्यक्ष लाला साहू एवं कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वरी साहू ने भगवान श्री राजीव लोचन और भक्तिन माता की पूजा-अर्चना कर भंडारे का शुभारंभ किया।
➡️ प्रथम दिवस समिति के अध्यक्ष लाला साहू ने अपने स्वर्गीय माता-पिता की स्मृति में भोग भंडारा कराया।
➡️ दाल-भात सेंटर रायपुर, गरियाबंद और धमतरी जिले में लगाए गए हैं।
➡️ राजिम भक्तिन मंदिर समिति द्वारा भी नदी क्षेत्र में भोजन भंडारे की सेवा की जा रही है।

भंडारे में सेवा देने वाले प्रमुख सदस्य:
नूतन साहू, रामकुमार साहू, घनश्याम साहू, डॉक्टर ओंकार साहू, बलराम साहू, विष्णु साहू, तरुण साहू, दिनेश्वर साहू, राजू साहू, डॉक्टर गंगाराम साहू, नंदलाल साहू, डॉ. राजेश्वर साहू सहित अन्य सदस्य।

समिति के अध्यक्ष लाला साहू ने बताया कि पिछले 3 वर्षों से यह भंडारा आयोजित किया जा रहा है और इसमें सभी समाज के लोगों का भरपूर सहयोग मिल रहा है।



Nikhil Vakharia

Nikhil Vakharia

मुख्य संपादक

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