नगर पालिका उपाध्यक्ष पद के लिए रस्साकशी तेज, संभावित प्रत्याशी रणनीति में जुटे

निखिल वखारिया

15 फरवरी को आएंगे नतीजे, लेकिन जोड़-तोड़ का खेल अभी से शुरू

गरियाबंद-नगर पालिका चुनाव के नतीजे 15 फरवरी को घोषित किए जाएंगे, लेकिन इससे पहले ही उपाध्यक्ष पद को लेकर राजनीतिक गहमागहमी शुरू हो चुकी है। भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। संभावित जीत के आधार पर समीकरण तैयार हो रहे हैं और गठजोड़ के नए समीकरण बन सकते हैं।

अगर भाजपा 8 से 10 पार्षदों की जीत दर्ज करती है, तो संगठन की भूमिका अहम होगी और पार्टी अपने प्रत्याशी को निर्विरोध जिताने का प्रयास करेगी। वहीं, अगर कांग्रेस और निर्दलीय पार्षद अधिक संख्या में जीतकर आते हैं, तो कई दावेदार अपनी दावेदारी मजबूत करने की कोशिश करेंगे। इस बार का उपाध्यक्ष चुनाव पूरी तरह से पार्षदों की जीत-हार पर टिका है।

भाजपा के प्रबल दावेदार

अगर भाजपा नगर पालिका चुनाव में बहुमत के करीब पहुंचती है, तो उपाध्यक्ष पद के लिए दो प्रमुख नाम उभरकर सामने आ रहे हैं:

1. सुरेंद्र सोनटेके

  • निवर्तमान उपाध्यक्ष होने के नाते उनकी सीट को सबसे सुरक्षित माना जा रहा है।
  • भाजपा और स्थानीय लोग उनकी जीत को लगभग तय मान रहे हैं।
  • पिछले 5 वर्षों में उन्होंने नगर पालिका में कई विकास कार्य किए हैं।
  • हमेशा विवादों से बचते आए हैं और अपने वार्ड में सक्रिय रहे हैं।

2. आसिफ मेमन

  • वे हर बार पार्षद चुनाव जीतते आए हैं और पहले भी एक बार उपाध्यक्ष रह चुके हैं।
  • नगर की राजनीति और जनता की नब्ज को समझने में माहिर माने जाते हैं।
  • मतदाताओं के बीच उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है।

कांग्रेस के संभावित दावेदार

अगर कांग्रेस के पार्षद ज्यादा संख्या में जीतकर आते हैं, तो उपाध्यक्ष पद के लिए ये नाम प्रमुख हो सकते हैं:

1. संदीप सरकार

  • दो बार के पार्षद रह चुके हैं।
  • क्षेत्र में उनकी छवि एक कर्मठ नेता की बनी हुई है।
  • कांग्रेस के रणनीतिकारों में वे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं।

2. छगन यादव

  • यदि वे जीतते हैं, तो उपाध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार बन सकते हैं।
  • उनकी छवि साफ-सुथरी मानी जाती है और वे जनहित के मुद्दों पर मुखर रहते हैं।

निर्दलीय पार्षदों की भूमिका अहम

अगर निर्दलीय पार्षद अधिक संख्या में जीतकर आते हैं, तो समीकरण पूरी तरह बदल सकता है। निर्दलीय पार्षद अगर एकजुट होते हैं, तो वे किंगमेकर की भूमिका में आ सकते हैं।

निर्दलीय दावेदार:

  1. ऋतिक सिन्हा( लेखराम सिन्हा)अगर निर्दलीय पार्षद ज्यादा संख्या में जीतते हैं, तो ये उपाध्यक्ष पद के लिए सबसे प्रबल दावेदार हो सकते हैं।

चुनावी गणित और रणनीतियां तेज

15 फरवरी को आने वाले नतीजे ही तय करेंगे कि नगर पालिका का अगला उपाध्यक्ष कौन होगा। लेकिन संभावित प्रत्याशी पहले से ही अपनी रणनीति बनाने में लग गए हैं।

  • कुछ प्रत्याशी निर्दलीयों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं।
  • कुछ दूसरी पार्टियों के प्रत्याशीयो में सेंध लगाने की रणनीति अपना रहे हैं।
  • कई नेता पार्षदों को अपने पक्ष में करने के लिए व्यक्तिगत संपर्क साध रहे हैं।

अंतिम फैसला नतीजों के बाद ही होगा, लेकिन अभी से सियासी हलचल तेज है।

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