निखिल वखारिया
प्रयागराज में उमड़ा आस्था का सागर, संगम तट पर आस्था की ऐतिहासिक लहर
फरवरी 12, 2025 –
दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन महाकुंभ 2025 में आस्था का ऐतिहासिक जनसैलाब उमड़ रहा है। श्रद्धालुओं, साधु-संतों और कल्पवासियों की श्रद्धा ने एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। बीते 30 दिनों में 46.25 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाई है। माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के स्नान के दौरान यह संख्या और बढ़ने की संभावना है, जिससे नया विश्व रिकॉर्ड बन सकता है।
संगम पर आध्यात्मिक माहौल, श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब
प्रयागराज के पावन संगम तट पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में श्रद्धालु हर दिन बड़ी संख्या में डुबकी लगा रहे हैं। सुबह से ही श्रद्धालु स्नान के लिए उमड़ रहे हैं, और दिन भर भजन-कीर्तन, यज्ञ और आध्यात्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं।
बुधवार सुबह 8 बजे तक 92.13 लाख श्रद्धालु महाकुंभ में पहुंचे, जबकि 1.02 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया। कल्पवासियों की संख्या 10 लाख से अधिक हो गई है।
महाकुंभ में प्रतिष्ठित हस्तियों की भागीदारी
महाकुंभ 2025 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सांसद और अन्य प्रतिष्ठित लोग आस्था की डुबकी लगा चुके हैं।
माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि पर बनेगा नया रिकॉर्ड?
महाकुंभ के मुख्य स्नान पर्वों में से एक माघी पूर्णिमा (24 फरवरी 2025) और महाशिवरात्रि (26 फरवरी 2025) को संगम पर और अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। अनुमान लगाया जा रहा है कि इन पर्वों पर स्नान करने वालों की संख्या 50 करोड़ के आंकड़े को पार कर सकती है।
प्रशासन पूरी तरह सतर्क, चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था
महाकुंभ में श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व भीड़ को देखते हुए प्रशासन और सुरक्षा बल अलर्ट पर हैं। हेलीकॉप्टर से निगरानी, ड्रोन कैमरों की सहायता और सैकड़ों सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, स्नान घाटों पर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस बल की तैनाती की गई है।
महाकुंभ 2025: भारत की आध्यात्मिक शक्ति का वैश्विक प्रदर्शन
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति का भी प्रदर्शन है। सनातन संस्कृति की इस अनंत धारा ने विश्व पटल पर भारतीय परंपराओं की महत्ता को और अधिक सशक्त किया है।