निखिल वखारिया
गरियाबंद, 08 मार्च 2025 – राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, बिलासपुर के आदेशानुसार तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायपुर के अध्यक्ष एवं प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, रायपुर श्री बलराम प्रसाद वर्मा के निर्देशानुसार जिला एवं अपर सत्र न्यायालय, गरियाबंद में 08 मार्च 2025, शनिवार को “नेशनल लोक अदालत” का आयोजन किया गया।
इस लोक अदालत में विभिन्न न्यायालयों में लंबित तथा प्रिलिटिगेशन मामलों को आपसी सुलह और समझौते के माध्यम से निपटाने का प्रयास किया गया। जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश, गरियाबंद श्रीमती तजेश्वरी देवी देवांगन की अध्यक्षता में गठित खंडपीठ क्रमांक-01 में कुल 51 लंबित प्रकरणों एवं 2061 प्रिलिटिगेशन प्रकरणों को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।

1.17 करोड़ रुपये के मोटर दुर्घटना दावा प्रकरणों का निपटारा
लोक अदालत के दौरान, 17 मोटर दुर्घटना दावा प्रकरणों का निपटारा करते हुए कुल ₹1,17,45,000/- (एक करोड़ सत्रह लाख पैतालीस हजार) रुपये का एवार्ड पारित किया गया। दुर्घटनाग्रस्त पीड़ितों को त्वरित मुआवजा मिलने से न्याय प्रक्रिया में गति आई और कई परिवारों को राहत मिली।
9.45 लाख रुपये के प्रिलिटिगेशन मामलों में समझौता
इसके अलावा, 103 प्रिलिटिगेशन मामलों में ₹9,45,279/- (नौ लाख पैंतालीस हजार दो सौ उन्यासी) रुपये का एवार्ड पारित किया गया। इन मामलों में बैंक ऋण वसूली, बिजली बिल विवाद, श्रम विवाद, पारिवारिक विवाद, भूमि विवाद आदि शामिल थे।
कुल 120 प्रकरणों का निपटारा, ₹1.27 करोड़ का एवार्ड
लोक अदालत में कुल 120 मामलों का सफल निपटारा किया गया, जिनमें ₹1,26,90,279/- (एक करोड़ छब्बीस लाख नब्बे हजार दो सौ उन्यासी) रुपये का एवार्ड पारित हुआ। यह लोक अदालत न्यायिक व्यवस्था में जनता के विश्वास को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।
पक्षकारों को राजीनामे के लिए प्रेरित किया गया
न्यायाधीश तजेश्वरी देवी देवांगन ने लोक अदालत में उपस्थित सभी पक्षकारों को संबोधित करते हुए समझौते के माध्यम से अधिक से अधिक मामलों को सुलझाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि “लोक अदालत एक ऐसा मंच है, जहां विवादों का त्वरित, सुलभ और प्रभावी समाधान निकाला जाता है। इससे न केवल समय की बचत होती है बल्कि अनावश्यक कानूनी खर्चों से भी राहत मिलती है।”
लोक अदालत का उद्देश्य और लाभ
लोक अदालत के आयोजन का मुख्य उद्देश्य न्याय को सुलभ और प्रभावी बनाना है। इसके माध्यम से छोटे-मोटे विवादों को बिना लंबी न्यायिक प्रक्रिया के सुलझाया जा सकता है। लोक अदालत में समझौते के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं, जो अंतिम और बाध्यकारी होते हैं तथा जिनके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती, जिससे समय और धन की बचत होती है।
न्यायिक अधिकारियों की भूमिका
इस लोक अदालत के सफल आयोजन में न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं, विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारियों तथा न्यायालय के कर्मचारियों का सराहनीय योगदान रहा।
निष्कर्ष
नेशनल लोक अदालत के सफल आयोजन से जिले के कई नागरिकों को न्याय मिला। यह पहल न केवल लंबित मामलों के निपटारे की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि जनता के लिए न्याय प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने का भी एक सशक्त माध्यम है।