छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को करारा झटका: शासन की आत्मसमर्पण नीति के तहत तीन नक्सलियों ने किया सरेंडर

निखिल वखारिया

सरकार की पुनर्वास योजना और पुलिस के प्रयासों से नक्सलियों ने छोड़ा हिंसा का रास्ता

छत्तीसगढ़ सरकार की प्रभावी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत एक और बड़ी सफलता सामने आई है। राज्य में सक्रिय तीन कुख्यात नक्सलियों ने पुलिस और प्रशासन के समक्ष आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। यह आत्मसमर्पण केवल सरकार की दूरदर्शी नीतियों का ही नहीं, बल्कि पुलिस और प्रशासन की लगातार किए जा रहे प्रयासों का भी परिणाम है।

यह सरेंडर उन लोगों के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है, जो अभी भी नक्सली संगठनों में शामिल होकर हिंसा और आतंक का रास्ता अपनाए हुए हैं। सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं और विकास योजनाओं से प्रभावित होकर ये नक्सली अब समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए आगे आ रहे हैं।


आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का परिचय

सरेंडर करने वाले नक्सली संगठन में लंबे समय से शामिल थे और कई हिंसक वारदातों में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे। इन पर सुरक्षाबलों पर हमला, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने, जबरन वसूली और अन्य आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहने के आरोप थे। लेकिन अब ये नक्सली सरकार की आत्मसमर्पण योजना से प्रभावित होकर हिंसा छोड़कर सामान्य जीवन जीने की राह पर आना चाहते हैं।

सरेंडर करने वाले नक्सलियों के नाम और उनकी पृष्ठभूमि:

  1. मंजुला उर्फ लखमी- यह नक्सली संगठन के एक महत्वपूर्ण दस्ते की सदस्य थी। इस पर कई बड़े हमलों में शामिल होने के आरोप हैं।
  2. सुनीता उर्फ जुनकी – इसने नक्सली संगठन के महिला दस्ते में काम किया और कई वारदातों में संलिप्त रही।
  3. दिलीप उर्फ संतु– यह लंबे समय से संगठन में शामिल था और हिंसक गतिविधियों में भूमिका निभा रहा था

सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का प्रभाव

राज्य सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत नक्सलियों को समाज में फिर से बसाने के लिए विभिन्न सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। इस नीति के कारण अब तक कई नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं और बेहतर जीवन की ओर बढ़ रहे हैं।

सरकार द्वारा आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को दी जाने वाली सुविधाएँ:

वित्तीय सहायता: आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है।
रोजगार के अवसर: सरकार इन्हें सरकारी योजनाओं और निजी क्षेत्र में रोजगार दिलाने में मदद करती है।
सुरक्षा की गारंटी: प्रशासन इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करता है ताकि ये अपने नए जीवन की शुरुआत बिना किसी भय के कर सकें।
शिक्षा और पुनर्वास: आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों और उनके परिवारों को शिक्षा और पुनर्वास योजनाओं का लाभ दिया जाता है।


पुलिस और प्रशासन की महत्वपूर्ण भूमिका

इस आत्मसमर्पण प्रक्रिया के दौरान छत्तीसगढ़ पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। अधिकारियों ने नक्सलियों को आश्वासन दिया कि सरकार उनकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी लेगी और उन्हें एक नई शुरुआत करने में हर संभव मदद प्रदान की जाएगी।

राज्य के पुलिस प्रमुख ने कहा कि “यह आत्मसमर्पण अन्य नक्सलियों के लिए भी एक प्रेरणा बनेगा, जो अब भी हिंसा के मार्ग पर हैं।” पुलिस प्रशासन का मानना है कि ऐसे आत्मसमर्पण से नक्सली संगठनों की ताकत कमजोर होगी और राज्य में शांति बहाल करने में मदद मिलेगी।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह आत्मसमर्पण अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और आने वाले समय में और अधिक नक्सलियों के मुख्यधारा में लौटने की संभावना है।


नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास की नई पहल

राज्य सरकार नक्सल प्रभावित इलाकों में तेजी से विकास कार्यों को लागू कर रही है। इन क्षेत्रों में सड़क निर्माण, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ और रोजगार के अवसर बढ़ाए जा रहे हैं ताकि वहाँ के लोग मुख्यधारा से जुड़ सकें और नक्सली संगठनों से दूर रहें।

सड़क और परिवहन सुविधाओं का विस्तार: सरकार ने सुदूर गाँवों को मुख्य सड़कों से जोड़ने का काम तेज कर दिया है।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ: स्कूल, कॉलेज और अस्पताल खोले जा रहे हैं ताकि स्थानीय लोगों को बेहतर भविष्य मिल सके।
युवाओं के लिए रोजगार योजनाएँ: स्वरोजगार और सरकारी नौकरी के अवसर बढ़ाए जा रहे हैं ताकि युवाओं को नक्सली संगठनों से दूर रखा जा सके।
सुरक्षा बलों की तैनाती: राज्य में शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षाबलों की संख्या बढ़ाई जा रही है और सर्च ऑपरेशन लगातार चलाए जा रहे हैं।


आत्मसमर्पण के बाद नक्सलियों की नई जिंदगी

सरकार और प्रशासन की यह पहल दिखाती है कि सही रणनीति और निरंतर प्रयासों से नक्सलवाद को समाप्त किया जा सकता है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने भी उम्मीद जताई है कि वे अब एक नया जीवन शुरू कर सकेंगे और समाज में सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर पाएंगे।

इस पहल का उद्देश्य सिर्फ नक्सलियों को आत्मसमर्पण कराना नहीं, बल्कि उन्हें बेहतर जीवन जीने का अवसर देना भी है। राज्य सरकार की नीतियों और पुलिस प्रशासन के सहयोग से नक्सली अब समाज में एक सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।

आगे क्या?

➡ पुलिस प्रशासन आत्मसमर्पण प्रक्रिया को और तेज करेगा।
➡ सरकार पुनर्वास योजनाओं को और प्रभावी बनाएगी।
➡ राज्य में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों की गति बढ़ाई जाएगी।


निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ में चल रही आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति राज्य में शांति और विकास की ओर एक बड़ा कदम है। सरकार की नीतियों और पुलिस प्रशासन की रणनीतियों के कारण नक्सल प्रभावित इलाकों में अब धीरे-धीरे स्थिरता आ रही है।

यह आत्मसमर्पण राज्य में स्थायी शांति बहाल करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। आने वाले समय में और कितने नक्सली इस नीति से प्रेरित होकर मुख्यधारा में लौटते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।

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