निखिल वखारिया
गरियाबंद, छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ का गरियाबंद जिला अब केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि एक अद्भुत कला के लिए भी सुर्खियों में है। अगर आप चिंगरा पगार के घने जंगलों, ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों और पहाड़ों की चट्टानों को पार करने का प्लान बना रहे हैं, तो तैयार हो जाइए एक ऐसे नजारे के लिए, जो आपकी आंखों को हैरान और दिल को सुकून देगा।
गरियाबंद से मात्र 8 किलोमीटर दूर स्थित चिंगरा पगार जलप्रपात, जो पहले ही अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध था, अब एक नई कला के माध्यम से और भी खास बन गया है। खैरागढ़ से आए कलाकार दंपति धरम नेताम और मनीषा नेताम ने यहां की चट्टानों को अपनी अद्भुत कला से सजाया है। उन्होंने विशाल पत्थरों पर वन्य जीवों की ऐसी जीवंत आकृतियां उकेरी हैं, जिन्हें देखकर हर कोई दंग रह जाता है। इन पत्थरों पर उकेरी गई नक्काशियां इतनी सजीव प्रतीत होती हैं कि मानो जंगल की दुनिया पत्थरों में बस गई हो।

पत्थरों पर जीवंत हुई वन्यजीवों की दुनिया!
धरम और मनीषा नेताम ने चिंगरा पगार की विशाल चट्टानों को एक अनोखा रूप दे दिया है। इन चट्टानों पर अब आपको जंगल के अद्भुत नजारे देखने को मिलेंगे। कलाकारों ने शेर की दहाड़, अजगर की लहराती आकृति, तेंदुए की फुर्ती, मछली की तैरती छवि, मगरमच्छ की डरावनी आकृति, बिच्छू की जहरीली बनावट, गिरगिट की रंग बदलती छटा, घेंघा की रहस्यमयी उपस्थिति, जंगली भैंसे की ताकत, कछुए की शांति, केकड़े की अनोखी चाल और कई अन्य वन्य जीवों को इतनी बारीकी से उकेरा है कि हर दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाता है।

वन विभाग के सहयोग से कला को मिला नया आयाम
इस अद्भुत कला को साकार करने के लिए धरम और मनीषा नेताम को वन विभाग का सहयोग प्राप्त हुआ। खैरागढ़ के गंडई गांव से ताल्लुक रखने वाले इस कलाकार दंपति ने पत्थरों को मूर्त रूप देने का विशेष प्रशिक्षण लिया है। उनका कहना है कि यह सिर्फ कला नहीं, बल्कि प्रकृति और संस्कृति का संगम है।
धरम और मनीषा हाल ही में अहमदाबाद से लौटे हैं, जहां उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया था। पिछले दो महीनों से वे चिंगरा पगार में दिन-रात मेहनत कर रहे थे ताकि इन चट्टानों को जीवंत रूप दिया जा सके। अब उनका काम पूरा हो चुका है, और इसका नतीजा हर किसी को चकित कर रहा है।
देशभर में दिखा चुके हैं अपनी कला का जादू
यह पहली बार नहीं है जब इस कलाकार जोड़े ने अपनी प्रतिभा से लोगों को हैरान किया हो। उन्होंने गोवा के समुद्री तटों, दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहरों, हैदराबाद की हाई-टेक दुनिया और कर्नाटक की हरी-भरी वादियों में भी पत्थरों को बोलती तस्वीरों में बदला है। उनकी इस अनूठी कला ने हर जगह लोगों को आकर्षित किया है।

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, छत्तीसगढ़ की विरासत को नई पहचान
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस पहल से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। वहीं, धरम और मनीषा का मानना है कि प्रकृति और कला का यह संगम लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने में भी मदद करेगा।

आप भी लें इस अनोखे अनुभव का आनंद!
अगर आप भी इस अनूठी कला को अपनी आंखों से देखना चाहते हैं, तो देर न करें। चिंगरा पगार की यात्रा पर निकलें और इन अद्भुत नक्काशियों को देखें, जो प्रकृति और मानव रचनात्मकता के मिलन का एक शानदार उदाहरण हैं। यह यात्रा आपके लिए न सिर्फ यादगार होगी, बल्कि आपको छत्तीसगढ़ की अनूठी सांस्कृतिक विरासत से भी रूबरू कराएगी।
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