हेमसागर साहू पिथौरा।
महासमुन्द। रामनवमी जैसे पावन पर्व पर जब पूरा जिला भक्ति में लीन था, उस समय एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। पिथौरा के रहने वाले 12वीं के छात्र वेदांश चंद्राकर की हत्या एक 10वीं के नाबालिग छात्र द्वारा कर दी गई। यह घटना दादा बाड़ा इलाके की है, जिसने ना केवल शहर को स्तब्ध कर दिया, बल्कि पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
घटना की रात रामनवमी की शोभा यात्रा निकाली जा रही थी, जिसमें वेदांश भी शामिल था। उसके पिता ने उसे रात में फोन कर घर आने को कहा, जिस पर वेदांश ने बताया कि वह जुलूस में है और थोड़ी देर में घर आएगा। लेकिन कुछ समय बाद ही उन्हें खबर मिली कि वेदांश खून से लथपथ हालत में पड़ा है। पुलिस ने तत्काल उसे अस्पताल पहुँचाया, जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस हरकत में आई और नाबालिग आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि हत्या की वजह आपसी विवाद या नशे से जुड़ा मामला हो सकता है, हालाँकि इसकी पुष्टि अभी नहीं हुई है। शहरवासियों का मानना है कि अगर पुलिस की पेट्रोलिंग ठीक से होती, तो यह घटना रोकी जा सकती थी।
समाज में बढ़ती मानसिक विकृतियाँ और कानून का डर खत्म होता नजर आ रहा है, यह घटना उसी का भयावह उदाहरण है। सवाल उठता है कि इतनी रात को नाबालिग बच्चे बाहर क्या कर रहे थे? और पुलिस की निगरानी क्यों नाकाफी साबित हुई?
पीड़ित परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
जिस घर में रामनवमी पर खुशियाँ होनी थीं, वहाँ मातम छा गया। वेदांश के माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनका बेटा त्योहार के दिन ऐसे दर्दनाक अंत को प्राप्त होगा।
यह घटना न केवल एक परिवार का दर्द है, बल्कि समाज के हर जागरूक नागरिक के लिए चेतावनी है कि अब वक्त आ गया है जब बच्चों की मानसिक स्थिति, नशे की लत और कानून व्यवस्था पर गंभीर मंथन किया जाए।
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