निखिल वखारिया।
गरियाबंद-राज्य सरकार द्वारा शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित “मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण” के तहत शिक्षकों और प्रधानपाठकों को सम्मानित करने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए जिला शिक्षा विभाग द्वारा एक सूची जारी की गई थी, लेकिन महज कुछ ही घंटों के भीतर संशोधित सूची में कई नाम हटा दिए गए, जिससे शिक्षक समुदाय में असंतोष फैल गया है।
सूची में अचानक बदलाव, शिक्षकों में असंतोष
गरियाबंद जिले में गुरुवार को आयोजित होने वाले इस शिक्षक सम्मान समारोह के लिए बुधवार शाम को जिला शिक्षा विभाग ने एक सूची जारी की थी। इस सूची में उन शिक्षकों और प्रधानपाठकों के नाम थे, जिन्हें उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया जाना था। लेकिन कुछ घंटों बाद ही संशोधित सूची जारी कर दी गई, जिसमें गरियाबंद और देवभोग ब्लॉक के 5 प्रधानपाठकों और शिक्षकों के नाम हटा दिए गए। पहली सूची सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी थी, जिससे उन शिक्षकों को बधाइयाँ मिलने लगी थीं। लेकिन जब संशोधित सूची सामने आई, तो हटाए गए शिक्षकों में निराशा और नाराजगी फैल गई।
शिक्षकों ने उठाए सवाल, कुछ ने बताया भेदभाव
नाम हटाए जाने के बाद कुछ शिक्षकों ने इस बदलाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा, तो कुछ ने इसे भेदभाव करार दिया। इस मामले में जब संबंधित अधिकारियों से सवाल किया गया तो जवाब मिला कि इस श्रेणी में प्रधानपाठकों को सम्मानित नहीं किया जाता, इसलिए उनके नाम हटाए गए। हालांकि, संशोधित सूची में दो प्रधानपाठकों के नाम शामिल किए गए, जिससे विवाद और गहरा गया।
शिक्षा विभाग ने दी सफाई
जब इस मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी एके सारस्वत के से बात की गई, तो उन्होंने कहा –“पहले जारी की गई सूची में कुछ नाम गलती से जुड़ गए थे। इसे सुधारकर नई सूची जारी की गई है। यह सिर्फ एक त्रुटि थी, जिसे ठीक कर दिया गया है।”
शिक्षक सम्मान पर उठे सवाल, सोशल मीडिया पर बहस
संशोधित सूची सामने आने के बाद शिक्षक समुदाय में असंतोष और चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। सोशल मीडिया पर भी इस मामले को लेकर बहस चल रही है। कई शिक्षकों का मानना है कि ऐसे बदलाव उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाते हैं।
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