संघर्ष से सफलता तक: मेघा मीणा ने रचा इतिहास, गांव की पहली MBBS डॉक्टर बनीं

राजेन्द्र श्रीवास


देवास, मध्यप्रदेश। देवास जिले के छोटे से गांव सुंदेल की एक साधारण लेकिन संघर्षशील परिवार से ताल्लुक रखने वाली बेटी मेघा मीणा ने वो कर दिखाया है, जो किसी भी ग्रामीण बच्ची के लिए सपना होता है। भोपाल स्थित चिरायु मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल से एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर मेघा ने न केवल अपने माता-पिता का, बल्कि पूरे क्षेत्र का नाम गर्व से ऊँचा कर दिया है। उनकी इस सफलता ने गांव में उत्सव जैसा माहौल पैदा कर दिया है, और हर कोई उन्हें बधाई देने उमड़ पड़ा है।


शुरुआत छोटे से गांव से, लेकिन नजरें थीं ऊँचाइयों पर
मेघा मीणा की प्रारंभिक शिक्षा उनके ही गांव सुंदेल के सरकारी स्कूल में हुई। जहां एक ओर ग्रामीण परिवेश में लड़कियों की पढ़ाई को अक्सर प्राथमिकता नहीं दी जाती, वहीं मेघा के परिवार ने न केवल उन्हें पढ़ने दिया, बल्कि हर मोड़ पर उनका हौसला बढ़ाया। सीमित संसाधनों और चुनौतियों के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी।


नीट में सफलता: पहला बड़ा कदम
मेघा ने नीट (NEET) परीक्षा में शानदार प्रदर्शन कर चिरायु मेडिकल कॉलेज, भोपाल में प्रवेश पाया। मेडिकल की पढ़ाई के पांच वर्षों में उन्होंने न केवल थ्योरी में उत्कृष्टता दिखाई, बल्कि कई तरह की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग और इंटर्नशिप के माध्यम से चिकित्सा विज्ञान की बारीकियों को आत्मसात किया। उनकी मेहनत, अनुशासन और लगन ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया।


परिवार की आंखों में खुशी के आंसू, गांव ने बांटी मिठाइयां
मेघा की डिग्री पूरी होने की खबर सुनते ही पूरे गांव में जश्न का माहौल बन गया। उनके पिता, जो एक साधारण किसान हैं, भावुक होते हुए बोले, “हमने हमेशा यही सपना देखा था कि हमारी बेटी डॉक्टर बने। आज वो सपना हकीकत में बदल गया है।” परिवार के सदस्यों ने ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया, और गांव की गलियों में मिठाइयाँ बांटी गईं।


पंचायत भवन में सम्मान समारोह, बनीं नई पीढ़ी की प्रेरणा
गांव के पंचायत भवन में एक विशेष सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें मेघा को फूलमालाओं से स्वागत किया गया। गांव के बुजुर्गों, शिक्षकों और युवाओं ने उनकी सराहना की। बच्चों और किशोरियों ने मेघा से प्रेरणा लेते हुए मेडिकल सहित अन्य प्रोफेशनल क्षेत्रों में करियर बनाने का संकल्प लिया।


सोशल मीडिया पर छाईं मेघा, बनीं ‘सपनों की उड़ान’ की प्रतीक
मेघा की यह उपलब्धि सोशल मीडिया पर भी जमकर सराही गई। फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप ग्रुप्स में उनकी तस्वीरें और सफलता की कहानी वायरल हो गई। कई लोगों ने उन्हें “गांव की बेटी, देश की शान” बताया। उनकी कहानी ने न केवल उनके जिले में, बल्कि अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी एक नई उम्मीद की किरण जगाई है।


बेटियों के लिए बनीं नई राह की रोशनी
मेघा की यह उपलब्धि खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों की उन बेटियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो अक्सर संसाधनों के अभाव और सामाजिक सीमाओं के कारण अपने सपनों को अधूरा छोड़ देती हैं। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि यदि इच्छाशक्ति और परिवार का सहयोग हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।


भविष्य की योजनाएं: ग्रामीण सेवा को दी प्राथमिकता
मेघा अब इंटर्नशिप की प्रक्रिया में हैं और इसके बाद वह सरकारी या निजी अस्पताल में सेवा देने का इरादा रखती हैं। उनकी प्राथमिकता है कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करें, जहां आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी है। आगे चलकर वे पोस्ट ग्रेजुएशन (PG) कर किसी विशेषज्ञता क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहती हैं।


(बिहान न्यूज़24×7 खबरे हमारी,भरोसा आपका)

Nikhil Vakharia

Nikhil Vakharia

मुख्य संपादक

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