अयोध्या 06-04-2025: रामनवमी के पावन अवसर पर अयोध्या में एक अलौकिक दृश्य साक्षात हुआ, जब अभिजीत मुहूर्त के दौरान सूर्य की किरणें सीधे श्री रामलला के ललाट पर पड़ीं। यह दिव्य सूर्य तिलक करीब चार मिनट तक बना रहा, जिसे दुनियाभर के श्रद्धालुओं ने सीधा प्रसारण के माध्यम से देखा। इस अद्भुत क्षण ने आस्था और विज्ञान के अनोखे संगम को जीवंत कर दिया।
कैसे हुआ सूर्य तिलक?
यह चमत्कारी क्षण पूरी वैज्ञानिक योजना और सटीक गणना के साथ संभव हुआ। सूर्य तिलक की प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए ISRO, IIT रुड़की और IIT चेन्नई के वैज्ञानिकों ने मिलकर विशेष तकनीक और ज्योमेट्रिक डिजाइन का उपयोग किया। शनिवार को इसका अंतिम ट्रायल हुआ, जो आठ मिनट तक चला। इसके बाद रविवार को रामनवमी के दिन यह आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
रामलला के जन्म की दिव्यता से जुड़ा सूर्य तिलक
सूर्य तिलक का धार्मिक महत्व रामचरितमानस की उस चौपाई से जुड़ा है जिसमें तुलसीदास लिखते हैं:
“मास दिवस कर दिवस भा, मरम न जानइ कोइ।
रथ समेत रबि थाकेउ, निसा कवन बिधि होइ।।”
इस चौपाई में बताया गया है कि रामलला के जन्म के समय सूर्यदेव स्वयं अयोध्या पहुंचे और इतने मोहित हो गए कि एक माह तक वहीं ठहर गए। भगवान श्रीराम सूर्यवंशी हैं, और सूर्य उनके कुलदेवता हैं। इसी कारण इस सूर्य तिलक का विशेष महत्व है।
भविष्य की योजना: अगले 20 वर्षों तक सूर्य तिलक
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने घोषणा की है कि अगले 20 वर्षों तक हर रामनवमी पर इसी तरह सूर्य तिलक की व्यवस्था की जाएगी, जिससे यह अद्वितीय परंपरा लगातार बनी रहे और श्रद्धालुओं को इसका साक्षात अनुभव मिलता रहे।
भव्य आयोजन और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
रामनवमी पर्व को भव्य बनाने के लिए अयोध्या में सुरक्षा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की विशेष तैयारी की गई। रामकथा पार्क में भक्ति संगीत, नृत्य और रामलीला जैसे कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। शहर को अलग-अलग जोन में बाँट कर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई। सीसीटीवी, ड्रोन और इंटर्नल डायवर्जन के जरिए भीड़ पर पूरी तरह नियंत्रण रखा गया।
(बिहान न्यूज़24×7- ख़बरें हमारी, आपका भरोसा)