राम लखन पाठक
सिंगरौली, मध्य प्रदेश।
राज्य के सर्वाधिक राजस्व देने वाली पंचायतों में से एक, खुटार पंचायत, इन दिनों भारी विवादों में घिरी हुई है। सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग और फर्जी बिलों के ज़रिए किए जा रहे भुगतान ने पंचायत की पारदर्शिता और प्रशासनिक ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
निजी मकानों में इस्तेमाल हो रही सरकारी सामग्री?
सूत्रों के अनुसार, खुटार पंचायत की सरपंच सीता पनिका और पंचायत सचिव अशोक शाह अपने-अपने निजी मकानों का निर्माण कार्य करवा रहे हैं—सरपंच का मकान ग्राम परसोंना में जबकि सचिव का निर्माण ग्राम माड़ा में चल रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन निर्माणों में उपयोग हो रही सामग्री का भुगतान पंचायत के सरकारी बजट से किया जा रहा है।
फर्जी बिलों से हो रही पेमेंट – ‘आयुष ट्रेडर्स’ नाम आया सामने

पूरा मामला और भी गंभीर तब हो गया जब सामने आया कि इन निर्माण सामग्रियों की आपूर्ति के लिए ‘आयुष ट्रेडर्स’ के नाम से फर्जी बिल तैयार कर उन्हें पंचायत में जमा किया गया और उसके आधार पर भुगतान भी किया गया। यानी न केवल सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग, बल्कि दस्तावेजों में भी हेराफेरी की आशंका जताई जा रही है।
गांव में उबाल – निष्पक्ष जांच की माँग
इस खुलासे के बाद ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश है। उनका कहना है कि यदि जनप्रतिनिधि ही योजनाओं का पैसा निजी स्वार्थ में खर्च करेंगे तो आम जनता तक मूलभूत सुविधाएं कैसे पहुंचेंगी?
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन से उच्चस्तरीय और निष्पक्ष जांच की माँग की है।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने तीखे शब्दों में कहा:
“अगर सरकारी पदों पर बैठे लोग ही नियमों को ताक पर रखेंगे, तो जनता को न्याय कैसे मिलेगा?”
जरूरत है कठोर कार्रवाई की
मध्य प्रदेश जैसे राज्य में, जहाँ ग्रामीण विकास के लिए भारी-भरकम बजट पंचायतों को आवंटित किया जाता है, वहाँ इस तरह की घटनाएं सरकारी व्यवस्था की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सीधा हमला करती हैं। अब वक्त आ गया है कि खुटार पंचायत में हुए इस कथित भ्रष्टाचार की जांच कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
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