Baisakhi 2025: आज मनाया जा रहा है बैसाखी का पर्व, क्या है इससे जुडी ख़ास बातें ….

Bisakhi 2025

निखिल वखारिया

13 अप्रैल 2025 | सिख समुदाय के लिए बैसाखी के पर्व का विशेष महत्व है। हर साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर बैसाखी का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। नववर्ष के रूप में ये त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। बैसाखी के दिन सिख धर्म के लोग पारंपरिक तरीके से वस्त्र पहनते हैं और भांगड़ा करते हैं। आज देश और विदेश में गुरुद्वारों में अधिक रौनक देखने को मिलती है |

आज से बैसाख माह शुरू, सिख समुदाय के द्वारा रविवार को 326वां वैशाखी पर्व हर्षोल्लास एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा

पंचांग अनुसार, 13 अप्रैल से वैशाख माह की शुरुआत होगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार, 13 अप्रैल की सुबह 5 बजकर 52 मिनट से वैशाख कृष्ण पक्ष यानी प्रतिपदा तिथि का आरंभ हो रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, बैसाखी के दिन ही सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर करते हैं। यह रबी की फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। बैसाखी वाले दिन से ही वसंत ऋतु का आगमन माना जाता है और सिख लोग इसे नववर्ष के तौर पर भी मनाते हैं।

क्यों मनायी जाती है बैसाखी ?

मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन सन् 1699 में सिख के दसवें गुरु गुरु गोविन्द सिंह ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की थी। धर्म की रक्षा करना और समाज की भलाई करने के लिए खालसा पंथ की स्थापना की गई थी। इस कारण बैसाखी का खास महत्व है। तभी से प्रत्येक वर्ष अप्रैल माह में वैशाखी पर्व को मनाने की परंपरा शुरू हुई।

कैसे मनाई जाती है बैसाखी (How is Baisakhi celebrated)

  • इस दिन प्रातः स्नान करने के बाद लोग गुरुद्वारों में भजन और प्रार्थना करते हैं। गुरुद्वारों को अधिक सुंदर तरीके से सजाया जाता है और खास रौनक देखने को मिलती है।
  • गुरुद्वारे में माथा टेकने के साथ ही जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करते हैं।
  • घी व आटे से बने प्रसाद का सेवन करते हैं।
  • इसके अलावा धार्मिक कार्यक्रम और प्रभात फेरी, जुलुस का आयोजन किया जाता है।
  • सिख घरों में सरसों का साग और मक्के की रोटी समेत तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं।

बैसाखी मुख्य रूप देश के उत्तर भारत जैसे पंजाब, हरियाणा में बड़ी है धूम-धाम से मनायी जाती है, साथ ही देश के अन्य क्षेत्रो में इसे अलग-अलग प्रारूप में मनाया जाता है जैसे की बंगाल में पीला बैसाख तो दक्षिण में बिशु के रूप में इस पर्व को मनाते है|

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

Nikhil Vakharia

Nikhil Vakharia

मुख्य संपादक

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