राम लखन पाठक ।
सिंगरौली, मध्यप्रदेश: देवसर क्षेत्र के जियावन गाँव के समीप बहने वाली महान नदी इन दिनों भयावह संकट के दौर से गुजर रही है। इस संकट की जड़ में है सहकार ग्लोबल लिमिटेड (SGL), जो यहाँ रेत खनन का कार्य कर रही है। स्थानीय निवासियों और पर्यावरणविदों के अनुसार, कंपनी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के दिशा-निर्देशों को दरकिनार कर नदी के जीवंत हिस्से में भारी मशीनों से अवैध खनन कर रही है, जिससे नदी का पारिस्थितिक संतुलन गहरे संकट में आ गया है।
नदी की धारा में लगाई गई मशीनें
रेत उत्खनन के लिए नदी के बीचों-बीच पोकलैंड, JCB, और लिफ्टर जैसी भारी मशीनें तैनात की गई हैं। ये मशीनें दिन-रात रेत निकाल रही हैं जिससे नदी का प्राकृतिक स्वरूप और जल प्रवाह बुरी तरह से बाधित हो रहा है। यह खनन नदी की जैव विविधता के लिए विनाशकारी सिद्ध हो रहा है।

मारे जा रहे हैं जलजीव और पक्षी
नदी में रहने वाले कछुए, मछलियाँ, झींगे, जल सर्प, जल मुर्गियाँ, सारस, गल्लर और अन्य जीव अब गायब होने लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मशीनों की आवाज़, कंपन और रेत उठाने की प्रक्रिया से ये जीव या तो पलायन कर रहे हैं या मारे जा रहे हैं। कभी जीवन से लबालब रहने वाली नदी अब मृतप्राय अवस्था में पहुँच गई है।
गाँवों में जल संकट गहराया
रेत खनन का प्रभाव केवल नदी तक सीमित नहीं है। जियावन और आसपास के गाँवों में कुएँ, तालाब, हैंडपंप और नलकूप सूखने लगे हैं। खेती प्रभावित हो रही है और पीने के पानी का संकट सिर उठाने लगा है। स्थानीय लोगों की माने तो नदी के जल प्रवाह में आई गिरावट से उनकी आजीविका और जीवनशैली दोनों खतरे में हैं।

ओवरलोडिंग का खुला खेल
रेत से लदे ओवरलोड ट्रक और डंपर सड़कों पर दौड़ते देखे जा सकते हैं। ये वाहन निर्धारित क्षमता से अधिक रेत ले जाते हैं, जिससे सड़कों को भारी नुकसान हो रहा है और दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ रही है। माइनिंग विभाग और पुलिस प्रशासन की चुप्पी ने मामले को और संदिग्ध बना दिया है।
रिश्तों और रिश्वत का खेल?
सूत्रों का दावा है कि SGL कंपनी लीज की सीमा से बाहर भी रेत खनन कर रही है, जहाँ इसकी अनुमति नहीं है। यह स्पष्ट रूप से अवैध है, परंतु स्थानीय अधिकारियों की मौन स्वीकृति और कथित भ्रष्टाचार के चलते कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही। रेत से भरे ट्रकों को ‘हरी झंडी’ देने के लिए रिश्वतखोरी की भी चर्चा जोरों पर है।
स्थानीय आक्रोश बढ़ा
इन सभी घटनाओं से स्थानीय जनता में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि यदि जल्द ही कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो महान नदी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।
अंतिम प्रश्न: “क्या सरकारी तंत्र अब भी सोता रहेगा, या कोई उठेगा इस नदी, पर्यावरण और लोगों की रक्षा के लिए?”
(बिहान न्यूज24×7 खबरे हमारी,भरोसा आपका)