डीएवी पतरातु विद्यालय में महात्मा हंसराज जयंती हर्षोल्लास से मनाई गई — छात्राओं ने प्रस्तुत किए प्रेरणादायक कार्यक्रम, प्राचार्य ने बताया हंसराज जी का योगदान

उमेश सिन्हा

राजपुर। डीएवी मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल, पतरातु में शनिवार को आर्य समाज के महान विचारक और समाज सुधारक महात्मा हंसराज जी की जयंती श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय प्रांगण में महात्मा हंसराज जी के चित्र पर माल्यार्पण कर और श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए की गई, जिसमें विद्यालय के प्राचार्य श्री आशुतोष झा, शिक्षकगण और छात्र प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर कक्षा 11वीं की छात्राओं शारदा पैकरा, ज्योति यादव, अनुष्का सिंह और सिमरन बेक द्वारा महात्मा हंसराज जी के जीवन और योगदान पर आधारित एक सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई, जिसमें उनके आदर्शों, समाजसेवा और शिक्षा क्षेत्र में योगदान को रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्राचार्य श्री आशुतोष झा ने कहा – “महात्मा हंसराज जी ने बहुत कम उम्र में आर्य समाज के आदर्शों को आत्मसात कर लिया और उन्हें ही अपने जीवन का ध्येय बना लिया। उन्होंने जाति, वर्ग, धर्म से ऊपर उठकर समरस समाज की परिकल्पना को साकार करने हेतु शिक्षा को माध्यम बनाया। भारतवर्ष में डीएवी संस्थानों का जो विशाल नेटवर्क आज मौजूद है, उसके पीछे हंसराज जी का अथाह त्याग, समर्पण और दृष्टिकोण है।”

इतिहास में उल्लेखनीय है कि 1883 ई. में स्वामी दयानंद सरस्वती के निधन के पश्चात, महात्मा हंसराज ने अपने साथियों के सहयोग से 1885 में ‘दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज ट्रस्ट एंड मैनेजमेंट सोसायटी’ की स्थापना की थी। इसके एक वर्ष बाद, 1 जून 1886 को लाहौर में ‘डीएवी महाविद्यालय’ की नींव रखी गई। मात्र 22 वर्ष की उम्र में महात्मा हंसराज जी इस संस्थान के प्रथम हेडमास्टर बने और जीवनपर्यंत समाज सेवा और शिक्षा प्रसार के लिए समर्पित रहे।

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Nikhil Vakharia

Nikhil Vakharia

मुख्य संपादक

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