पिथौरा (महासमुंद), हेमसागर साहू
पिथौरा अनुविभाग के अंतर्गत ग्राम पंचायत लहरौद के डिपोपारा वार्ड नंबर 11 में शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया है। लगातार शिकायतों के बावजूद प्रशासन द्वारा कार्यवाही नहीं किए जाने से ग्रामवासी अब आंदोलन के मूड में हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द से जल्द अवैध निर्माण नहीं रोका गया, तो वे नेशनल हाईवे पर चक्काजाम और आमरण अनशन करेंगे।
अवैध कब्जा का मामला और प्रशासन की चुप्पी
ग्राम डिपोपारा की शासकीय भूमि, खसरा नंबर 624/1 पर एक भृत्य द्वारा अवैध रूप से निर्माण किए जाने की शिकायत मोहल्लेवासियों ने अनुविभागीय अधिकारी पिथौरा और थाना प्रभारी से की थी। बताया जा रहा है कि नयापारा निवासी लोकनाथ डड़सेना ने गांव में यह कहकर लोगों को गुमराह किया कि उक्त भूमि पर एकलव्य हॉस्टल के चौकीदार के लिए भवन बनाया जा रहा है, लेकिन बाद में उस जमीन पर अवैध रूप से निर्माण कर उसे अपने रिश्तेदार गीताराम डड़सेना को सौंप दिया गया।

ग्रामवासी बताते हैं कि यह वही स्थान है जहाँ वर्षों से गणेशोत्सव और दुर्गोत्सव जैसे धार्मिक आयोजनों के लिए पूरा मोहल्ला एकत्र होकर पूजा-अर्चना करता रहा है। इस स्थान पर अवैध कब्जा होना न केवल सामाजिक भावना को ठेस पहुंचाता है, बल्कि प्रशासन की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े करता है।
27 फरवरी को दी थी शिकायत, फिर भी कोई कार्यवाही नहीं
गांव की गली में अवैध रूप से बाउंड्रीवाल खड़ी किए जाने की शिकायत 27 फरवरी 2025 को तहसीलदार और थाना प्रभारी को दी गई थी। परंतु एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। प्रशासन की इस निष्क्रियता के कारण अवैध कब्जाधारियों के हौसले और बुलंद हो गए हैं।
5 अप्रैल (शनिवार) और 6 अप्रैल (रविवार) की छुट्टियों का लाभ उठाते हुए कब्जाधारियों ने पुनः निर्माण कार्य शुरू कर दिया, जिससे ग्रामवासियों का गुस्सा और अधिक भड़क गया।
चक्काजाम और आमरण अनशन की चेतावनी
ग्रामवासियों ने पुनः ज्ञापन सौंपकर अवैध कब्जा हटाने की मांग की है और चेताया है कि यदि प्रशासन शीघ्र ही कार्यवाही नहीं करता है, तो वे नेशनल हाइवे पर चक्काजाम के साथ-साथ आमरण अनशन करने को मजबूर होंगे। उनका कहना है कि यदि शासकीय जमीनों पर इस प्रकार कब्जा होता रहा तो एक दिन पूरी शासकीय भूमि ही समाप्त हो जाएगी और शासन-प्रशासन केवल मूकदर्शक बना रहेगा।
डोंगरीपाली में भी बढ़ता अतिक्रमण
इसी तरह डोंगरीपाली क्षेत्र में भी कुछ लोग पहाड़ों के नीचे वन विभाग की भूमि पर कब्जा कर खेत बना रहे हैं, और वहां भी प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। यह दर्शाता है कि अतिक्रमणकारियों को कहीं न कहीं सरकारी तंत्र की शह प्राप्त है, जिससे प्रशासन की कार्यशैली पर संदेह उत्पन्न हो रहा है।
अब यह देखना होगा कि प्रशासन इन चेतावनियों को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या अवैध निर्माण पर सख्ती से रोक लगाई जाती है या फिर ग्रामीणों को आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ता है।
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