शिक्षा विभाग में बड़ा घोटाला: फर्जी दस्तावेजों के सहारे बना प्रधान पाठक, प्रशासन की चुप्पी से गहराया सवाल


रिपोर्ट:
: हेमसागर साहू, पिथौरा (महासमुंद)
मो. 7089790890

महासमुंद।
जिस शिक्षा विभाग पर भावी पीढ़ियों के निर्माण की ज़िम्मेदारी होती है, वही अब भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की गिरफ्त में आता दिख रहा है। जिले के पिथौरा विकासखंड में एक ऐसा मामला सामने आया है जो शिक्षा व्यवस्था की साख को गंभीर रूप से चोट पहुँचाता है।

फर्जी दस्तावेजों के सहारे मिली पदोन्नति
पिथौरा विकासखंड के ग्राम खैरखुटा में पदस्थ प्रधान पाठक दिनेश प्रधान पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2022 में सहायक शिक्षक से प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नति पाने के लिए कूटरचित दस्तावेजों का सहारा लिया

सूत्रों के मुताबिक, दिनेश प्रधान पूर्व में बसना विकासखंड के शासकीय प्राथमिक शाला पितईपाली में शिक्षाकर्मी वर्ग-3 के रूप में कार्यरत थे। 31 अगस्त 2010 को उन्होंने जनपद पंचायत बसना के आदेश क्रमांक 1105 के तहत स्वयं के व्यय पर पिथौरा विकासखंड के ग्राम खैरखुटा में स्थानांतरण लिया था।

फर्जीवाड़ा कैसे हुआ?
जब वर्ष 2022 में सहायक शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया शुरू हुई, तब दिनेश प्रधान ने अपने स्वयं व्यय पर किए गए स्थानांतरण आदेश में फर्जीवाड़ा कर उसे प्रशासनिक आधार पर स्थानांतरण का रूप दे दिया। इस फर्जी आदेश के आधार पर उन्होंने वरिष्ठता सूची में अपना नाम दर्ज कराया और अवैध रूप से प्रधान पाठक पद पर पदोन्नति प्राप्त कर ली

वरिष्ठता सूची में हेराफेरी
शिक्षा विभाग के नियम के अनुसार:

  • स्वयं व्यय पर स्थानांतरण की स्थिति में शिक्षक की वरिष्ठता समाप्त हो जाती है।
  • प्रशासनिक स्थानांतरण की स्थिति में वरिष्ठता बनी रहती है

दिनेश प्रधान ने इसी नियम का दुरुपयोग करते हुए वरिष्ठता सूची में हेरफेर की और पदोन्नति का लाभ उठाया।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • बसना जनपद पंचायत के सीईओ को दो जनपदों के बीच प्रशासनिक स्थानांतरण का अधिकार नहीं है।
  • स्वाभिमान न्यूज़ की पड़ताल में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से प्राप्त दस्तावेजों से यह स्पष्ट हुआ कि दिनेश प्रधान का स्थानांतरण स्वयं के व्यय पर हुआ था।
  • इसके बावजूद, अब तक इस पूरे फर्जीवाड़े पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं
एक जागरूक नागरिक ने इस फर्जीवाड़े की विधिवत शिकायत की है, लेकिन शिक्षा विभाग की चुप्पी सवालों के घेरे में है

जब इस मामले पर स्वाभिमान न्यूज़ के प्रतिनिधि ने दिनेश प्रधान से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी देने से इनकार कर दिया।

प्रश्न जस का तस:

  • क्या ऐसे शिक्षकों को दंडित किया जाएगा जो फर्जी दस्तावेजों से पदोन्नति पा रहे हैं?
  • क्या योग्य और मेहनती शिक्षकों के साथ हो रहे अन्याय को सुधारा जाएगा?
  • क्या शिक्षा विभाग अपनी साख को बचा पाएगा?

निष्कर्ष:
महासमुंद जिले के इस प्रकरण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षा विभाग में पारदर्शिता की सख्त जरूरत है। प्रशासन और संबंधित विभाग यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाते हैं, तो यह घोटाला पूरे तंत्र को खोखला कर सकता है।


(बिहान न्यूज़24×7 खबरे हमारी, भरोसा आपका)

Nikhil Vakharia

Nikhil Vakharia

मुख्य संपादक

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *