निखिल वखारिया
गरियाबंद, छत्तीसगढ़ | छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में एक ऐसा अनूठा मंदिर है, जहां भगवान शिव अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां शिवजी के साथ उनकी पुत्री अशोक सुंदरी भी विराजमान हैं। पूरे रायपुर संभाग में ऐसा मंदिर कहीं और नहीं मिलेगा।

यह मंदिर 106 साल पुराने बंगले के हिस्से में स्थित है, जो कभी छुरा राज परिवार का निवास हुआ करता था। यह बंगला अब तहसील और न्यायालय के रूप में कार्यरत है, यानी एक ओर भक्त अपनी मन्नतों के लिए शिव के दर पर मत्था टेकते हैं, तो दूसरी ओर लोग इंसाफ की आस लेकर न्यायालय में अर्जियां लगाते हैं।
इतिहास और मंदिर की विशेषता
1919 में छुरा राज परिवार की एक शाखा गरियाबंद में बसी थी। उन्होंने गांधी मैदान के पास एक भव्य महलनुमा बंगला बनवाया, जिसे बाद में “राजा का ढाबा” और “महल” के नाम से भी पहचाना गया। बंगले के बाईं ओर बने शिवालय में एक प्राचीन शिवलिंग स्थापित है, जिसके ठीक पीछे माता पार्वती अपनी पुत्री अशोक सुंदरी के साथ विराजमान हैं।
शिवालय की मूर्तियां अत्यंत सुंदर और ऐतिहासिक कला का प्रतीक हैं।

- भगवान शिव के साथ माता पार्वती और उनकी पुत्री अशोक सुंदरी
- भगवान गणेश और कार्तिकेय
- शिवजी के वाहन नंदी और माता पार्वती के वाहन सिंह
- अशोक सुंदरी के हाथों में बेल फल जो शिवजी को अति प्रिय है
मूर्तियों को बेहद बारीकी और खूबसूरती से तराशा गया है, जिनके नैन-नक्श, वस्त्र और बालों की अद्भुत नक्काशी आज भी देखने लायक है।
जब जमींदार चले गए, तब भी भगवान यहीं रहे
1935 के आसपास यह बंगला जमींदारों के हाथ से निकल गया। इतिहासकारों के अनुसार, ब्रिटिश हुकूमत ने या तो इसे पैसे देकर खरीदा या किसी अन्य कारण से अपने अधीन ले लिया। इसके बाद यह जगह कुछ समय के लिए थाना बनी, फिर तहसील कार्यालय बना दिया गया।
तब से लेकर आज तक, इस स्थान पर भगवान शिव का आशीर्वाद भी बना हुआ है और न्याय की चौखट भी यथावत है। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मन्नत मांगते हैं, उनकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
हर साल महाशिवरात्रि के अवसर पर तहसील स्टाफ की ओर से विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है। इसमें आसपास के श्रद्धालु और भूतेश्वर नाथ धाम से लौटने वाले भक्तगण प्रसाद ग्रहण करते हैं।
अशोक सुंदरी – शिवजी की अनोखी पुत्री, जिन्हें शिवलिंग में स्थान मिला
भगवान शिव की कुल छह संतानें मानी जाती हैं:
✅ पुत्र: गणेश और कार्तिकेय
✅ पुत्री: अशोक सुंदरी, जया, विषहरी, शामिलबारी, देवी और दोतलि
हालांकि, इनमें से पांच पुत्रियां नाग कन्याएं मानी जाती हैं, लेकिन अशोक सुंदरी का जन्म माता पार्वती की इच्छा से हुआ था।
📜 पौराणिक कथा:
कहा जाता है कि माता पार्वती अकेलापन महसूस कर रही थीं, इसलिए उन्होंने अशोक वृक्ष से पुत्री मांगते हुए भगवान शिव से प्रार्थना की, जिससे अशोक सुंदरी का जन्म हुआ।
अशोक सुंदरी को विशेष रूप से गुजरात में अधिक पूजा जाता है, लेकिन गरियाबंद का यह मंदिर इस मान्यता का प्रमुख केंद्र है।
अनोखी बात यह है कि शिवलिंग में केवल अशोक सुंदरी को ही स्थान मिला है।
- शिवलिंग का ऊपरी भाग पराशिव (शिव तत्व) माना जाता है।
- निचला हिस्सा पीठम् कहलाता है, जो मां पार्वती का प्रतीक है।
- जलहरी के जिस हिस्से से जल बाहर निकलता है, वहीं अशोक सुंदरी का वास माना गया है।
गरियाबंद का यह मंदिर धर्म और न्याय का अनूठा संगम है, जहां भगवान शिव अपने परिवार सहित विराजमान हैं। इस स्थान की ऐतिहासिकता, आध्यात्मिकता और न्याय प्रणाली का अद्भुत मेल इसे छत्तीसगढ़ का एक अनोखा तीर्थस्थल बनाता है।
यदि आप शिव भक्त हैं और उनकी पुत्री अशोक सुंदरी के दुर्लभ दर्शन करना चाहते हैं, तो गरियाबंद के इस प्राचीन मंदिर में जरूर आएं।